बाराबंकी: देवा के ग्राम कासिमगंज में स्थित राजा गंगा बख्श रावत
ऊके विध्वंस किले पर 31 मार्च को विजय दिवस मनाया जाता है पासी समाज के अंतिम शासक राजा गंगा बख्श रावत के ऊपर अंग्रेज सेनापति एल्डर टोन ने 28 फरवरी 1850 को चढ़ाई की। जिसे राजा गंगा बख्श रावत व उनके पुत्र कुंवर रणवीर सिंह रावत ने एल्डर टोन को मार गिराया और अंग्रेजी सेना को परास्त कर दिया। कैप्टन व्यालु व मेजर विल्सन को मार भगाया। उस समय से पासी वर्ग 31 मार्च को राजा के सम्मान में विजय दिवस मनाता चला आ रहा है। पासी समाज अंग्रेजी हुकूमत का शिकार हो गया और तभी से इस जाति के सारे नागरिक अधिकार छीन लिए गए और इस जाति को जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया। पासी वर्ग सहित 198 जातियों पर क्रिमिनल एक्ट 1871 में लगा दिया गया। इस पूरी जाति को पुलिस की निगरानी में रखा जाने लगा। यहां तक कि चार साल के बच्चे को अंगूठे का निशान थाने में लिया जाने लगा। और जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया कि इस जाति के लोगों को जो सरंक्षण देगा उसे सजा दी जाएगी। इस प्रकार यह जाति विकास से वंचित हो गए आर्थिक रूप से दिव्यांगता झेल रही है। उत्तर प्रदेश में। स्वतंत्रत संग्राम सेनानियों की जब भी चर्चा होगी तब अमर शहीद राजा गंगा बक्स रावत का नाम सबसे पहले लिया जायेगा। जनपद के बाराबंकी के कासीमगंज क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले राजा गंगा बक्स रावत के नाम से अंग्रेजी हुकूमत कांपती थी, जिनके इरादों को राजा गंगा बक्स रावत ने चकनाचूर कर दिया। ब्रिटिश शासकों ने अंग्रेजों की नजर जब भी बाराबंकी की तरफ पड़ी आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले राजा गंगा बक्स रावत ने 1857 में हुयी क्रांति के दौरान अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की जुल्मों शितम के खिलाफ क्षेत्र के शुरमाओं को एकत्र किया। जब उन्होंने राज पाठ सॅभाला था। उस समय अंगे्रज शासक अपने राज्य का विस्तार कर रहे थे। ऐसे में राजा गंगा बक्स रावत ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, कानपुर के हजारों किसानों, युवाओं व मजदूरों को जोड़ कर क्रांति की ऐसी मशाल जलाई कि अंग्रेजों के छक्के छूट गये। जिसमें कानपुर, झांसी, लखनऊ के राजाओं ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था। अपनो ने ही लालच में की मुखबरी स्वाधीनता के लिये छेड़े गये संग्राम के लिये रानी लक्ष्मी बाई, बहादुर शाह जफर, नाना साहब, तात्या टोपे के साथ राजा गंगा बक्स रावत भी शामिल हो गये। जिसमें 31 मई 1857 को एक साथ अंग्रेजों की छावनी में हमला करना था। परंतु इसके पहले हमला कर पाते एक विस्फोट होने से अंगे्रज सतर्क हो गये। कानपुर में नाना साहब के अधिकार के बाद अंग्रेज वहां से भाग कर बक्सर आ गये। जहां पर उनका सामना राजा गंगा बक्स रावत से हुआ। बक्सर में अंगे्रज गंगा नदी के किनारे स्थित शिव मंदिर में छिप गये। मौके पर मौजूद ठाकुर यदुनाथ सिंह ने अंगे्रजों को मंदिर से बाहर आने के लिये कहा। परंतु अंग्रेजों ने यदुनाथ सिंह को गोली मार दी। जिससे क्रोधित लोगों ने मंदिर में आग लगा दी। जिससे अंगे्रज जल कर मर गये। परंतु इस हादसे के बाद तीन अंग्रेज बच गये। जो गंगा में कूद कर अपनी जान बचायी। जिन्होंने लखनऊ पहुंचकर पूरी बात अंग्रेज अधिकारियों को बतायी।राजा गंगा बक्स रावत भाँप गये की अंग्रेज किले पर आक्रमण जरूर करेंगे उन्होंने पहले से ही तैयारी कर ली थी जितना भी खजाना था वो सारा खजाना अपने दूसरे किले में ले गए और ये किला खली कर दिया उधर अंग्रेजों ने भारी भरकम फौज के साथ राजा गंगा बक्स रावत के किले पर हमला बोल दिया। राजा गंगा बक्स रावत ने अंग्रेजों का बहादुरी से मुकाबला किया। परंतु अंग्रेजों के गोला बारूद व सामरिक शक्ति के सामने से पीछे हटना पड़ा। राजा गंगा बक्स रावत व उनके जवान छिप.छिपकर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्व कर अंगे्रजों के दंभ को चकनाचूर करने का काम किया। परंतु अपने बीच के कुछ गद्दारों ने अंग्रेजों के हाथों बिककर गंगा बक्स रावत की मुखबरी कर दिया और उनके ठिकानों की जानकारी अंग्रजों को दे दी। अंग्रेजों को राजा गंगा बक्स रावत के किले में कुछ नही मिला उन्होंने पहले ही सारा खजाना छुपा दिया था लेकिन अंग्रेजो ने राजा गंगा बक्स रावत को काशी में गिरफ्तार कर लिया। फांसी की रस्सी दो बार टूटी थी दिखावटी अदालत व झूठी गवाही के बल पर राजा गंगा बक्स रावत को फांसी की सजा दी गयी। जहां 28 दिसम्बर 1861 को उसी को फांसी पर लटका दिया गया। जिस स्थान पर अंग्रेजों को जलाया गया था।राजा गंगा बक्स रावत माॅ चन्द्रिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे। जिस कारण अंगे्रजों द्वारा फांसी देने के दौरान दो बार रस्सी टूट गयी थी। आज गंगा बक्स रावत का नाम जनपद में आदर से लिया जाता है। गंगा बक्श रावत भले ही आज हमारे बीच न हो परंतु कासिम गंज में जन्म दिन मनाया जाता राजा साहब को नमन करने के लिये लोग आते हैं।
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ऊके विध्वंस किले पर 31 मार्च को विजय दिवस मनाया जाता है पासी समाज के अंतिम शासक राजा गंगा बख्श रावत के ऊपर अंग्रेज सेनापति एल्डर टोन ने 28 फरवरी 1850 को चढ़ाई की। जिसे राजा गंगा बख्श रावत व उनके पुत्र कुंवर रणवीर सिंह रावत ने एल्डर टोन को मार गिराया और अंग्रेजी सेना को परास्त कर दिया। कैप्टन व्यालु व मेजर विल्सन को मार भगाया। उस समय से पासी वर्ग 31 मार्च को राजा के सम्मान में विजय दिवस मनाता चला आ रहा है। पासी समाज अंग्रेजी हुकूमत का शिकार हो गया और तभी से इस जाति के सारे नागरिक अधिकार छीन लिए गए और इस जाति को जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया। पासी वर्ग सहित 198 जातियों पर क्रिमिनल एक्ट 1871 में लगा दिया गया। इस पूरी जाति को पुलिस की निगरानी में रखा जाने लगा। यहां तक कि चार साल के बच्चे को अंगूठे का निशान थाने में लिया जाने लगा। और जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया कि इस जाति के लोगों को जो सरंक्षण देगा उसे सजा दी जाएगी। इस प्रकार यह जाति विकास से वंचित हो गए आर्थिक रूप से दिव्यांगता झेल रही है। उत्तर प्रदेश में। स्वतंत्रत संग्राम सेनानियों की जब भी चर्चा होगी तब अमर शहीद राजा गंगा बक्स रावत का नाम सबसे पहले लिया जायेगा। जनपद के बाराबंकी के कासीमगंज क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले राजा गंगा बक्स रावत के नाम से अंग्रेजी हुकूमत कांपती थी, जिनके इरादों को राजा गंगा बक्स रावत ने चकनाचूर कर दिया। ब्रिटिश शासकों ने अंग्रेजों की नजर जब भी बाराबंकी की तरफ पड़ी आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले राजा गंगा बक्स रावत ने 1857 में हुयी क्रांति के दौरान अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की जुल्मों शितम के खिलाफ क्षेत्र के शुरमाओं को एकत्र किया। जब उन्होंने राज पाठ सॅभाला था। उस समय अंगे्रज शासक अपने राज्य का विस्तार कर रहे थे। ऐसे में राजा गंगा बक्स रावत ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, कानपुर के हजारों किसानों, युवाओं व मजदूरों को जोड़ कर क्रांति की ऐसी मशाल जलाई कि अंग्रेजों के छक्के छूट गये। जिसमें कानपुर, झांसी, लखनऊ के राजाओं ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था। अपनो ने ही लालच में की मुखबरी स्वाधीनता के लिये छेड़े गये संग्राम के लिये रानी लक्ष्मी बाई, बहादुर शाह जफर, नाना साहब, तात्या टोपे के साथ राजा गंगा बक्स रावत भी शामिल हो गये। जिसमें 31 मई 1857 को एक साथ अंग्रेजों की छावनी में हमला करना था। परंतु इसके पहले हमला कर पाते एक विस्फोट होने से अंगे्रज सतर्क हो गये। कानपुर में नाना साहब के अधिकार के बाद अंग्रेज वहां से भाग कर बक्सर आ गये। जहां पर उनका सामना राजा गंगा बक्स रावत से हुआ। बक्सर में अंगे्रज गंगा नदी के किनारे स्थित शिव मंदिर में छिप गये। मौके पर मौजूद ठाकुर यदुनाथ सिंह ने अंगे्रजों को मंदिर से बाहर आने के लिये कहा। परंतु अंग्रेजों ने यदुनाथ सिंह को गोली मार दी। जिससे क्रोधित लोगों ने मंदिर में आग लगा दी। जिससे अंगे्रज जल कर मर गये। परंतु इस हादसे के बाद तीन अंग्रेज बच गये। जो गंगा में कूद कर अपनी जान बचायी। जिन्होंने लखनऊ पहुंचकर पूरी बात अंग्रेज अधिकारियों को बतायी।राजा गंगा बक्स रावत भाँप गये की अंग्रेज किले पर आक्रमण जरूर करेंगे उन्होंने पहले से ही तैयारी कर ली थी जितना भी खजाना था वो सारा खजाना अपने दूसरे किले में ले गए और ये किला खली कर दिया उधर अंग्रेजों ने भारी भरकम फौज के साथ राजा गंगा बक्स रावत के किले पर हमला बोल दिया। राजा गंगा बक्स रावत ने अंग्रेजों का बहादुरी से मुकाबला किया। परंतु अंग्रेजों के गोला बारूद व सामरिक शक्ति के सामने से पीछे हटना पड़ा। राजा गंगा बक्स रावत व उनके जवान छिप.छिपकर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्व कर अंगे्रजों के दंभ को चकनाचूर करने का काम किया। परंतु अपने बीच के कुछ गद्दारों ने अंग्रेजों के हाथों बिककर गंगा बक्स रावत की मुखबरी कर दिया और उनके ठिकानों की जानकारी अंग्रजों को दे दी। अंग्रेजों को राजा गंगा बक्स रावत के किले में कुछ नही मिला उन्होंने पहले ही सारा खजाना छुपा दिया था लेकिन अंग्रेजो ने राजा गंगा बक्स रावत को काशी में गिरफ्तार कर लिया। फांसी की रस्सी दो बार टूटी थी दिखावटी अदालत व झूठी गवाही के बल पर राजा गंगा बक्स रावत को फांसी की सजा दी गयी। जहां 28 दिसम्बर 1861 को उसी को फांसी पर लटका दिया गया। जिस स्थान पर अंग्रेजों को जलाया गया था।राजा गंगा बक्स रावत माॅ चन्द्रिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे। जिस कारण अंगे्रजों द्वारा फांसी देने के दौरान दो बार रस्सी टूट गयी थी। आज गंगा बक्स रावत का नाम जनपद में आदर से लिया जाता है। गंगा बक्श रावत भले ही आज हमारे बीच न हो परंतु कासिम गंज में जन्म दिन मनाया जाता राजा साहब को नमन करने के लिये लोग आते हैं।
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Jai pasi
जवाब देंहटाएंHar har mahadev