सोमवार, 27 जुलाई 2020

Raja Lakhan Pasi राजा लाखन पासी

लखनऊ शहर को बसाने वाले निर्माता महाराजा लाखन पासी
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महाराजा लाखन पासी ( 10-11) ई.
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#लाखन_पासी किले का #इतिहास जानकारों की माने और इतिहास पर नजर डालें तो कहीं न कहीं सामने आया प्राचीन समय का निर्माण किसी किले के जमीन के नीचे दबे होने के संकेत दे रहा है ।  प्राचीन इतिहस में #महाराजा लाखन पासी के इतिहास के बारे में दी गई जानकारियों के मुताबिक लखनऊ गजेटियर ( ब्रिटिश काल ) में भी लिखा है कि जिले के प्राचीन स्थानों की संख्या बहुत थोड़ी है । अधिकतर टीले या डिह जो विद्यमान है. पासियों के बताए जाते है।यह सब इस बात के स्पष्ट प्रमाण है कि लखनऊ और उसके आस पास के समस्त जिलो पर पासियों का राज था  और लखनऊ को राजा लाखन पासी ने बसाया था महाराजा लाखन पासी के समय लखनऊ एक छोटा नगर था । आज जहा लखनऊ मेडिकल कालेज एवं टीले वाली मस्जिद है वह स्थान महाराजा लाखन पासी का #किला और उससे संबद्ध में  भवन हुआ करते थे । कालान्तर में उन पर #राजपूतों और #मुसलमानों के हमले होते रहे और संरक्षण के अभाव में ये ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होती गई । इतिहासकार योगेश प्रवीन ने अपनी #पुस्तक_दास्ताने अवध में राजा लाखन पासी का उल्लेख किया है । कई विद्वानों ने अपनी पुस्तक में स्पष्ट लिखा है कि लखनऊ की लाखन पासी ने बसाया था

राजा लाखन पासी के साक्ष्य✓
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देखिए जब से इतिहास की जानकारी होती है तभी हम कुछ कह सकते हैं बिना साक्ष्यों और  बिना प्रमाण के कोई बात करना उचित नहीं होता  और इसलिए किसी भी स्टोरी के पीछे हम तहकीकात करते हैं तब किसी न किसी साक्ष्यों पर या किसी ने किसी किदवंती और पौराणिकता को छूते हैं  और साथ में उससे जुड़े हुए ऐतिहासिक तथ्यों का आकलन भी करते हैं जिससे हम ऐतिहासिक तथ्यों पर विश्वास करते हैं और यह सही भी है लेकिन जब साथ में कुछ पौराणिक घटनाओं का जिक्र होता है तो उसको भी ध्यान में रखा जाता है और इसी प्रकार से जब लखनऊ शहर की बात करते हैं इस शहर का नाम लखनऊ कब पड़ा ?  कैसे पड़ा ?  इसके पीछे क्या साक्ष्य हैं?  तो हम पाते हैं लखनऊ शहर के बारे में प प्रायः दो मत का प्रचार है -

1. सामान्य विश्वास के अनुसार इस शहर का नाम यहां के राजा लाखन पासी ( लखना) के नाम से पड़ा जो किसी समय यहां बड़े शक्तिशाली थे  ऐसा इसलिए कहा जाता है कि आसपास के संपूर्ण क्षेत्र पर पासियों का राज रहा है जिनके किलो के अवशेष आज भी विद्यमान हैं.

2. साथ ही  विश्वास के अनुसार यह कहा जाता है कि पौराणिकता के अनुसार राम के भाई लक्ष्मण के नाम से इस शहर का नाम लक्ष्मणपुर से लखनपुर पड़ा और लखनपुर से नवाबों के समय लखनौ और फिर अंग्रेजों के समय लखनऊ हो गया ।


   
जब हम राजा लाखन पासी की बात करते हैं तब उनसे जुड़े उनके किलो और उनके द्वारा निर्मित भवनों  अवशेष लखनऊ में देखने को मिल जाते हैं जिन का अध्ययन करने से पता चलता है यह लगभग हज़ार साल पहले
का है -
अब जब हजार साल पुराने साक्ष्यों का अध्ययन करते हैं तब यहां इस  क्षेत्र पर लखनऊ सहित आसपास के 14 जिलों में पासियों का एकछत्र राज रहा जिसका समय काल 9. वी सदी 12 वी सदी. तक देखा गया बाद में  निरंतर  हुवे मुस्लिम और राजपूतों के आक्रमण से उनके राज्य छिन्न-भिन्न हो गए ।

मुस्लिम आक्रमण
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भारत में मुस्लिमो का आक्रमण 8 वी. शताब्दी के आते-आते प्रारंभ हुआ ( 712 ई.) है उसी क्रम में जब हम ( 10-11) वीं सदी की बात करते हैं तभी इस क्षेत्र पर सैयद सालार मसूद गाजी का आक्रमण होता है जिसके पास में लाखों की तादाद में सैन्य बल और सेना होती है पंजाब दिल्ली कन्नौज को जीतता हुआ क्षेत्र अवध पर पहुंचा , कन्नौज के राजाओं ने मुसलमानों की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
                                और वह इस क्षेत्र को जीतने के लिए आगे बढ़ा  और #लखनऊ की धरती पर कदम रखते ही उसकी बिकट लड़ाई कसमंडी ( काकोरी ) के  शक्तिशाली रजपासी राजा कंस से लड़नी पड़ी । प्रथम युद्ध में गाजी की सेनाओं को हार का मुंह देखना पड़ा तब यह क्षेत्र पासियों से भरा हुआ था #मुसलमानों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यहां के पासी  इस हद तक #युद्ध करेंगे कि उसकी मौत का कारण  बन जाएंगे अपने जीत के नशे में चूर सैयद सालार मसूद गाजी बहुत जल्द हार का स्वाद चखना पड़ा ,और सारी सेना सहित वह बहराइच में पासी  राजा #सुहेल_देव के हाथों मारा गया ।

#लखनऊ में पासियो का  संघर्ष
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#इतिहासकारों का मानना है कि #कंसमंडी के विकट लड़ाई के बाद मसूद गाजी को अगली बिकट  लड़ाई लाखन कोट पर लड़नी पड़ी ।
               क्योंकि कंसमंडी के दौरान राजपासी  कंस वीरगति हुवे, लेकिन उससे पहले  सैयद सलार गाजी के दो भतीजे सैयद हातिम और खतीम को मौत के घाट उतार दिए थे  जिसकी मजारे आज भी कसमंडी में देखने को मिल जाती हैं
और #लखनऊ_अकबरी_गेट के सामने उस समय मैदान था जहां पर #भीषण_युद्ध हुआ था और उसके बाद लाखन कोट पर यह युद्ध इतना भयंकर हुआ । अपने भतीजे के मौत से बौखलाए सैयद सालार मसूद गाजी ने अपनी लाखों की सेना इस कोट को जीतने के लिए लगा दी  आज भी उस युद्ध की गवाही देता पास में गंजशहीदा आज भी मौजूद है जहां मुसलमानों की लाशे है आज भी दफन है, और इतिहासकारों का मानना है कि लखनऊ की बिकट लड़ाई में ही राजा लाखन पासी वीरगति हुए  ।
 और फिर मसूद गाजी ने यहां से गोमती पार करके बाराबंकी में सतरिख में अपना पड़ाव डाला था और फिर युद्ध की सारी नीतियां वहीं से बनाई लेकिन लखनऊ के बिकट  युद्धों से मसूद गाजी इतना घायल हुआ कि उसकी सेनाओं को उबरने में बड़ा समय लगा,  फिर आगे बहराइच में पासी राजा सुहेलदेव के हाथो मारा गया ।

तो यह कहानी है महाराजा लाखन पासी की और उनके द्वारा किए गए युद्धों की जो आज भी किस्सों कहानियों में लखनऊ में सुनने को मिल जाती है  ।

अब बात करते है ऐतिहासिक साक्ष्यों की
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ऐसी बहुत सारी किताबें हैं लेकिन एक ऐसी किताब है जिसमें बकायदा राजा लाखन पासी के बारे में बताया गया है जिसके नीचे में पन्ने को अपलोड कर रहा हूं जिसे आप देख लीजिएगा

जी हां मैं बात कर रहा हूं  ( The beautiful india  uttar Pradesh -1978 ) जो  Central archaeological library में मिल जाएगी जिस पर उसकी मोहर भी है  जिसके पेज नंबर 175 पर जाने से लखनऊ के बारे में आपको जानकारी दी गई है वह निम्नवत है -

( Lucknow ) -   लखनऊ: लखनऊ (लखनाऊ), बगीचों का शहर, गोमती के किनारे स्थित है।  लखनऊ नाम की उत्पत्ति पर विवाद है।  " मुस्लिम इतिहासकारों का मत है कि बिजनौर शेख करीबन 1526 ई. में यहां आकर बस गए थे और उस समय के इंजीनियर लखना पासी की देखरेख में अपने लिए एक किला (किला) बनवाया था।  प्रारंभ में किला लखना के रूप में नामित यह धीरे-धीरे लखनऊ में बदल गया।  दूसरी ओर,  हिंदू साहित्य एक अलग संस्करण देता है।  ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के सौतेले भाई, लक्ष्मण, जिन्हें लखन के नाम से जाना जाता है, का जन्म यहीं हुआ था और लखनपुर शहर की स्थापना यहां पर हुई थी।  यह बाद वाले मत से ऐसा  प्रतीत होता है क्योंकि इस समय तक इंजीनियर के नाम पर किसी शहर का नामकरण नहीं किया गया है, हालांकि शहर और कस्बों का नाम राजकुमारों और शासकों के नाम पर जरूर रखा गया है।"

नोट -  विद्वानो ने इंजीनियर की बात को खारिज कर राजकुमारो एवं शाशको के नाम से हो सकता है स्वीकारा गया है

मुस्लिम इतिहासकार यह अच्छी तरीके से जानते थे कि लाखन पासी नाम का कोई शासक था ।
                      दूसरी बात यह कि पासी शासकों ने कई जगह सुंदर-सुंदर निर्माण करवाएं जिनका उदाहरण आज भी आप देख सकते है और ब्रिटिश गजेटियर से प्रमाणित भी है किलो के संदर्भ में ,जैसे महाराजा बिजली पासी के 12 किले लखनऊ में देखने को मिल जाते हैं जिनके , उचित देखे रेख ना होने से खंडहरों के रूप में बचे हैं

इंजीनियर कहने का तात्पर्य - उनका नए नए भवनों का निर्माण की  चाहत रखने वाला ( राजा)  से हो सकता है  जो ऐतिहासिक रूप से सत्य प्रतीत होता है क्योंकि यहां पर पासियो का राज था और उनके ढेरों प्राचीन किले एवं डीह देखने को मिल जाते हैं


तो जो सदियों सदियों से लखनऊ के बारे में जो मत है वह भी आपके समाने रखा है

 महाराजा  लाखन पासी के नाम से , जिनके बहुत से ऐतिहासिक प्रमाण हैं जैसे  ;-

(i ) संस्कृति विश्वकोष vol.1 by सूर्यप्रसाद दीक्षित
(ii) प्रख्यात इतिहासकार श्री योगेश प्रवीन
(iii) प्रख्यात इतिहासकार अमृतलाल नागर जी
(i v) सेंसस ऑफ इंडिया सीरीज 1971
(V) The beautiful india uttar Pradesh ,page no. 175

आदि बहुत से साक्ष्य हैं महाराजा लाखन पासी के बारे में

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