मंगलवार, 16 मार्च 2021

महराजा छीता पासी का इतिहास [ History of Sitapur ]

 ✅🌿सीतापुर जिले का इतिहास [ History of Sitapur ]

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#सीतापुर  


✅✅ महाराजा छीता पासी की नगरी ✅✅✅


सीतापुर जिले की जनसंख्या वेबसाइट के अनुसार 4483992 है तहसील 8 है 19 ब्लॉक 27 पोलिस स्टेशन हैं 

 

#History


सीतापुर का पुराना नाम छितया पुर था जिसे राजा छीता पासी ने बसाया था क्या आप जानते है ?


Ain-i-Akbari के "अनुसार इसका पुराना नाम छितिया पुर था" और लोकमत के अनुसार राजा छीता पासी ने अपने नाम से छितिया पुर नाम का एक नगर बसाया था जिसके ध्वंसवशेष टीले के रुप मे आज भी देखा जा सकता है जिसे पहले छीता पासी का टीला नाम से जाना जाता था "अवध गजेटियर" के अनुसार कालांतर में इसका नाम अपभ्रंश होकर सीतापुर हो गया । यानि राजा छीता पासी के नगर का हमे साहित्यिक स्रोत ain- i-akabri मिलता है जों हमे 16 वी सदी की यहां की भागौलिक इतिहास का बोध कराता है वहीं सीतापुर गजेटियर 1905 के अनुसार 11-12 सदी में पासी यहां बड़े हि शाक्तिशाली बने रहे जिनका अकबर के समय भी यहां स्वतंत्रता देखी गई थीं जो बाद में निरंतर हुऐ विदेशी आक्रमण से पासी जाति अपने मुख्य भूमि से विस्थापित हुए उससे पहले जब यहां फिरोज़ शाह तुगलक का शासन आया था उसने बहराइच में मसूद गाजी की कब्र तक यात्रा की और रास्ते में यहां पासियो को जीतकर तुगलकाबाद नगर आबाद किया । उसके 30 सालों बाद पासियो को अपनी शक्ति का पुन : आभास हुआ और 1398 ईस्वी मे राजा लहरी पासी के नेतृत्व में तुगलको को हराकर तुगलकाबाद का नाम बदल कर अपने नाम से लहरपुर रख दिया था और पासी सत्ता कायम की और (1398-1416 AD ) 18 वर्षो तक राज किया । लगभग 18 वर्षो तक इस जिले को तुगलको के आतंक से निजात दिलाई

 

Note - आज भी लहरपुर के मुस्लिम समुदायों मे लहरी पासी को बड़ा क्रूर और अत्याचारी शासक के रुप मे स्वीकार करते है  


सीतापुर का सबसे शाक्तिशाली राजा लहरी पासी था जिसे कहीं कहीं " लोहारी पासी" लिखा गया है ।


राजा छीता पासी और सीतापुर का इतिहास

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Ain-i-Akbari के "अनुसार इसका पुराना नाम छितिया पुर था" और लोकमत के अनुसार राजा छीता पासी ने अपने नाम से छितिया पुर नाम का एक नगर बसाया था जिसके ध्वंसवशेष टीले के रुप मे आज भी देखा जा सकता है जिसे पहले छीता पासी का टीला नाम से जाना जाता था "अवध गजेटियर" के अनुसार कालांतर में इसका नाम अपभ्रंश होकर सीतापुर हो गया ।

                    राजा छीता पासी का समयकाल 12 वी सदी माना जाता है राजा छीता पासी कन्नौज के राजा जयचन्द और आल्हा -ऊदल एवं लखनऊ बिजनौर के महाराजा बिजली पासी उन्नाव के राजा सातन पासी समकालीन थे , ऐसा मत है कि गांजर के कर वसूलने के प्रश्न को लेकर कन्नौज के राजा जयचन्द से बात बिगड़ गई थी और जयचंद ने गंजार का कर वसूलने के लिए गंजार पर चढ़ाई की थीं लेकिन असफल रहा लगातार 12 साल तक वह पासी राजाओं से कर वसूल नही कर पाया और वह पराजित भी हुआ गंजार के समस्त पासी राजाओं को लामबद्ध कर महाराजा बिजली पासी ने जयचंद से युद्ध के लिए मोर्चाबंदी की थी जिसमे राजा छीता पासी भी शमिल थे , जिनका किला वर्तमान सीतापुर में भग्नावशेष रुप संरक्षित है जिसमे राजा छीता पासी की आदमकद मूर्ती स्थापित है


सीतापुर के बारे मे एक किदवंती और भी है की रामायण के पात्र राजा राम की पत्नी सीता के नाम से इस क्षेत्र का नाम सीता पड़ा । 

 

              सीतापुर में पासियो द्वारा शासित केंद्र - मोहाली , मितौली , सिधौली , बिसवां , लहरपुर , खैराबाद , मिश्रिख, मुहमदाबाद आदि था जिनके बारे में कहा जाता है अवध गजेटियर के अनुसार इनमें से मितौली का राजकुमार रजपासी हंसा बड़ा ही शाक्तिशाली था जिसका मोहाली के अहिबंस राजपूत राजा के बेटी के प्रश्न को लेकर विवाद हो गया था उस समय राजा हंसा बड़ा ही शक्तिशाली था जिसके सामने राजपूत राजा असहाय थे अन्ततः राजपूत अपनी बेटी की शादी राजपासी राजा हंसा से करने के लिए तैयार हो गए , परंतु राजपुतो ने छलपूर्वक बारात विदाई के समय राजा हंसा सहित सारे हजारों पासी सैनिकों के खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर परोसा गया जब राजा हंसा सहित उसकी सेना बेहोशी की हालत मे पहुंचे तब मौका पाकर तुरंत अहिबंस राजपूतों ने धोखे से हमला कर बेहोश सैनिकों पर हमला कर सबको मार डाला इसी छल मे राजपासी हंसा वीरगति हुऐ । 

                     अवध गजेटियर और सीतापुर गजेटियर उस समय हुऐ इस भयानक कृत्य की पुष्टि करता है । जो कभी सीतापुर की धरती पर घटित हुई थी राजपूतों और मुसलमानों से पूर्व यहां पासी जाति का शासन था । 


स्रोत -

Oudh gazzettear N to z 1877

Sitapur district Gazetteerr 1905 


( The Pasi Landlords )

      कुंवर प्रताप रावत


#भारशिव_वंश_पासी_जाति 

#Sitapur 

#पासी_जाति_का_इतिहास 

#historylovers


3 टिप्‍पणियां:

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