गुरुवार, 3 अक्तूबर 2019

सरदार बसन्त पासी

अवध गजेटियर के अनुसार कहा जाता है कि उत्तर भारत में पासी समाज के छोटे बड़े कबीले हुआ करते थे और कबीलो का विस्तार करके पासी अपने आपको स्वतंत्र राजा घोसित कर देते थे ऐसे ही उन्नाव के औरास छेत्र में एक गाँव आता है गांगन बछौली बछौली में लगभग 15वि सदी में एक छोटा सा कबीेला था उस कबीले का सरदार गगन पासी था इस गगन पासी का एक लड़का था बसन्त पासी गगन के मौत के बाद सरदार बना बसन्त पासी बसन्त पासी ने आस पास के सभी गांव अपने साथ मिला लिए उन 22 गांव के लोगो ने बसन्त पासी को अपना स्वतंत्र राजा घोसित कर दिया बसन्त पासी राजा बनते ही अपने गांव का नाम अपने पिता के नाम से गगन रख दिया यही गगन आगे चलकर गांगन के नाम से विख्यात हुआ सरदार बसन्त पासी ने अपने क्षेत्र के रक्षा के लिए गांगन से लगभग एक किलो मीटर दूर मिटटी के दुर्ग का निर्माण किया यह दुर्ग लगभग 25 बीघे में बना हुआ है इस दुर्ग के चारो तरफ किसानों का कब्ज़ा हो गया है और इसी दुर्ग के पूर्व में एक सरकारी स्कूल का निर्माण किया गया उस दुर्ग के पूर्व और दक्षिण की तरफ कच्ची सड़क का निर्माण किया गया है इस दुर्ग पर प्राचीन ग्लजेवर के टुकड़े प्राप्त होते रहते है यह दुर्ग टिल्ले के रूप में मौजूद है इस दुर्ग के सरदार बसन्त पासी के नाम से इस क्षेत्र का नाम बसन्ता खेड़ा पड़ा कई वर्षों बाद गांगन दो भागों में विभाजन हो गया एक सड़क के दाहिनी ओर बछौली के नाम से प्रसिद्ध हुआ दूसरा अपने मूल नाम पर गांगन ही रहा याह क्षेत्र पासी बहुल क्षेत्र है पर यहाँ के पासी शिक्षित नही है इस क्षेत्र के पासी कच्ची शराब का सेवन करते है और इसी कारण कई लोगों की मौत हो गई आज राजाओ के वंसज पासी जुआ शराब के चुँगुल में फंसे हुए है

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