शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

महाराज लहरी पासी  Maharaja Lahari Pasi

फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ दिल्ली सल्तनत में तुग़लक़ वंश का शासक था। फ़िरोजशाह तुग़लक़ का जन्म 1309 को हुआ। वो भारत पर अन्तिम मुसलिम शासक था। उसकी हूकूमत 1351 से 1388 तक रही। वो, दिपालपुर की हिदूं राजकुमारी का पुत्र था।उसने अपनी हूकूमत के दौरान कई हिन्दूयों को मुसलिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया। उसने अपने शासनकाल में ही चांदी के सिक्के चलाये| फ़िरोज़शाह तुग़लक़ (1351-1388 ई.), मुहम्मद तुग़लक़ का चचेरा भाई एवं सिपहसलार 'रजब' का पुत्र था। उ.सकी माँ ‘बीबी जैजैला' ('भड़ी' रजामल की पुत्री) राजपूत सरदार रजामल की पुत्री थी। मुहम्मद तुग़लक़ की मुत्यु के बाद 20 मार्च 1351 को फ़िरोज़ तुग़लक़ का राज्याभिषक थट्टा के निकट हुआ। पुनः फ़िरोज़ का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ। सुल्तान बनने के बाद फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने अवध प्रान्त को अपने स्वधीन करने के लिए निकल पड़ा सीतापुर खैराबाद लहेर पुर इन सभी क्षेत्रों को जीतता गया आज का जो लहेर पुर है ये पहले किसी और नाम से जाना जाता था पहले किस नाम से जाना जाता था इसका पता नही चल पाया लहेर पुर को जीत कर इसका नाम तुगलका बाद कर दिया लेकिन और तुगलो ने लहेर पुर में हिंदुओं के साथ नाजायज जुल्म किये इसी लहेरपुर के कुछ हिस्से पर लहरी पासी का शासन था लहरी पासी ने अपनी सेना को मजबूत और संघटित किया लहरपुर से तुगलो को खदेड़ने की तैयारी बनाई लहेर पासी ने तुगलो पर आक्रमण किया और तुगलो को लहरपुर छोड़ कर भागना पड़ा लहेर पुर के आस पास से भी तुगल छोड़ कर भाग गए और संपूर्ण लहेर पुर पर लहरी पासी का शासन हो गया और तुगलका बाद का नाम बदल कर लहेर पुर कर दिया जिस तरह तुगलो ने हिन्दुओ को निरापराध मौत के घाट उतारते थे उसी तरह तुगलो के लिए लहरी पासी अवध का काल बन गए इतिहासकार कहते है लहरी पासी की तरह पुरे भारत में शासक होते तो मुस्लिम आक्रमण करी कब का हिंदुस्तान छोड़ कर भाग गए होते लहरी पासी की शासन प्रालि से तुगल हमेसा भयभीत रहते थे लहरी पासी किसी भी तुगलो पर आक्रमण करने से पीछे नही हटते थे अवध प्रान्त में मुसलमान इतना भयभीत हो गए की लहरी पासी मुसलमानो को सपने में भी नजर आने लगे

सभी सीतापुर के मुसलमानो ने
हजरत साह अलाउदीन से अपनी रक्षा करने की अपील की तब हजरत साह अलाउदीन तब फतेह पुर से लखनऊ पहुँचे लखनऊ पहुँच कर
हजरत साह अलाउदीन ने हजरत शेख ताहिर गाजी के पास सन्देश भेजा कुछ लोग मानते है कि हजरत साह अलाउदीन ने सपने में ख्वाब दिखाया हजरत शेख ताहिर गाजी तब कन्नौज में था उसके पास सन्देश यह भेजा गया कि कन्नौज को छोड़ कर लहेर पुर की तरफ सेना लेकर प्रस्थान करें और वहाँ मुसलमानो की रक्षा करे उस खूंखार शासक लहरी पासी से आजाद कराये अन्यथा वह सभी मुसलमानो को जीना हराम कर देगा दिन पर दिन लहरी पासी और मजबूत शासक बनता जा रहा है अगर इसे यही नही रोका गया तो या पुरे अवध से मुसलमानो को समाप्त कर देगा ये सन्देश पाकर सेख ताहिर गाजी अपनी विसाल सेना लेकर लहेर पुर की तरफ प्रस्तान कर गया लहरी पासी निडर होकर राज्य की सत्या संभाल रखी थी कुछ दिनों बाद सेख ताहिर गाजी अपनी विसाल सेना लेकर लहेर पुर की सीमा पर पंहुचा उसने बिना कोई चेतावनी य सन्देश देकर लहरी पासी के राज्य पर आक्रमण कर दिया लहरी पासी ने आनन फानन अपनी सेना एकत्रित की और युद्ध के लिए सेख ताहिर गाजी के सामने जा डटे लहरी पासी की कम सेना देख कर उसने लहरी पासी का मजाक उड़ाया लहरी पासी आग बबूला हो गये दोनों तरफ की सेना आमने सामने जा डटी और घमसान युद्ध हुआ लहरी पासी की सेना ने तबाही मचा दी ये कारनामा देखा सेख ताहिर गाजी भी भय भीत हो गया उसकी सेना भागने लगी लेकिन साम के होते युद्ध बन्द करना पड़ा और इस तरह ताहिर गाजी की सेना बच गयी और अगले दिन की युद्ध करने की तैयारी करना सुरू कर दिया तब तक रात में ही हजरत साह अलाउदीन सेना लेकर पहुँच गया अगले दिन युद्ध हुआ मानो लहरी पासी की सेना सिरपर कफन बांध कर लड़ रही हो लेकिन लहरी पासी की कम सेना होने के कारण अलग अलग घेर लिया और महाराज लहरी पासी
अपनी सेना से अलग हो गए उन्हें मुस्लिम सेना ने चारों तरफ से घेर लिया था और लोग कहते है कि लहरी पासी को कैद कर लिया गया था कुछ लोग कहते है कि वह वीरगती को प्राप्त हुए थे और इस तरह लहेर पुर से फिरसे पासी शासन समाप्त हो गया लहेर पुर के प्रमुख स्थान'-प्रमुख स्थलों में यहाँ कई ऐतिहासिक शिव मंदिर और रामलीला मैदान का कुण्ड अति शोभनीय है जहा प्रतिवर्ष रामलीला का आयोजन किया जाता है | शहर बाज़ार, पराग शाह चौराहा, गुरखेत बाज़ार, मजाशाह चौराहा, पाटन दीन चौराहा, खत्रियाना चौराहा, बिसवां तिराहा, जोशीताल चुंगी आदि हैं।

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