दिल्ली सल्तनत पर मोहम्मद तुगलक की 1325 में हुकूमत हो गई और 1351तक रही। उसने अपनी हूकूमत के दौरान कई हिन्दूयों को मुसलिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया। मोहम्मद तुगलक की 20 मार्च 1351 में मृत्यु हो गई उसके बाद फ़िरोज़ साह तुग़लक़ का राज्याभिषक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ। सुल्तान बनने के बाद फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने अवध प्रान्त को अपने स्वधीन करने के लिए निकल पड़ा सीतापुर खैराबाद लहेरपुर इन सभी क्षेत्रों को जीत लिया आज का जो लहेर पुर है ये पहले किसी अन्य नाम से जाना जाता था पहले किस नाम से जाना जाता था इसका पता नही चल पाया फिरोज साह तुगल ने लहेर पुर को जीत कर इसका नाम तुगलका बाद कर दिया और तुगलो ने लहेर पुर में हिंदुओं के साथ नाजायज जुल्म किये इसी लहेरपुर के कुछ हिस्से पर लहरी पासी का शासन था लहरी पासी ने अपनी सेना को मजबूत और संघटित किया लहरपुर से तुगलो को खदेड़ने की तैयारी बना रहे थे लेकिन फिरोज साह तुगलक की विशाल सेना पहले ही लहेरी पासी के किले पर आक्रमण कर दिया और इस बात की खबर लहरी पासी को चली तो मानो लहरी पासी इसी का इंतजार कर रहे हो लहरी पासी सेना को तैयार किया और तुगल सेना के सामने जा डटे कुछ ही पल में घमासान युद्ध हुआ लहरी पासी ने तुगल सेना में भारी तबाही मचाई और तुगल सेना उद्ध छोड़ कर भाग गयी और संपूर्ण लहेर पुर पर लहरी पासी ने पासी परचम लहरा दिया पुरे लहर पुर में लहरी पासी का शासन हो गया और तुगलका बाद का नाम बदल कर अपने नाम पर लहेर पुर कर दिया इसके बाद लहरी पासी ने तुगलो से खैराबाद को आजाद कराया जिस तरह तुगल हिन्दुओ को निरापराध मौत के घाट उतारते थे उसी तरह तुगलो के लिए लहरी पासी अवध का काल बन गए इतिहासकार कहते है लहरी पासी की तरह पुरे भारत में शासक होते तो मुस्लिम आक्रमण कारी कब का हिंदुस्तान छोड़ कर भाग गए होते लहरी पासी की शासन प्रालि से तुगल हमेसा भयभीत रहते थे लहरी पासी किसी भी तुगलो पर आक्रमण करने से पीछे नही हटते थे अवध प्रान्त में तुगल इतना भयभीत हो गए की लहरी पासी तुग्लो को सपने में भी नजर आने लगे सभी सीतापुर के तुगल मुसलमानो ने हजरत साह अलाउदीन से अपनी रक्षा करने की अपील की तब हजरत साह अलाउदीन फतेह पुर से लखनऊ पहुँचे लखनऊ पहुँच कर हजरत साह अलाउदीन ने हजरत शेख ताहिर गाजी के पास सन्देश भेजा कुछ लोग मानते है कि हजरत साह अलाउदीन ने सपने में ख्वाब दिखाया तब हजरत शेख ताहिर गाजी कन्नौज में था उसके पास सन्देश यह भेजा गया कि कन्नौज को छोड़ कर लहेर पुर की तरफ सेना लेकर प्रस्थान करें और वहाँ मुसलमानो की रक्षा करे उस खूंखार शासक लहरी पासी से आजाद कराये अन्यथा वह सभी मुसलमानो को जीना हराम कर देगा दिन पर दिन लहरी पासी और मजबूत शासक बनता जा रहा है अगर इसे यही नही रोका गया तो या पुरे अवध से मुसलमानो को समाप्त कर देगा ये सन्देश पाकर सेख ताहिर गाजी अपनी विसाल सेना लेकर लहेर पुर की तरफ प्रस्तान कर गया लहरी पासी निडर होकर राज्य की सत्या संभाल रखी थी कुछ दिनों बाद सेख ताहिर गाजी अपनी विसाल सेना लेकर लहेर पुर की सीमा पर पंहुचा उसने बिना कोई चेतावनी य सन्देश देकर लहरी पासी के राज्य पर आक्रमण कर दिया लहरी पासी ने आनन फानन अपनी सेना एकत्रित की और युद्ध के लिए सेख ताहिर गाजी के सामने जा डटे लहरी पासी की कम सेना देख कर उसने लहरी पासी का मजाक उड़ाया लहरी पासी आग बबूला हो गये दोनों तरफ की सेना आमने सामने जा डटी और घमसान युद्ध हुआ लहरी पासी की सेना ने तबाही मचा दी ये कारनामा देखा सेख ताहिर गाजी भी भय भीत हो गया उसकी सेना भागने लगी लेकिन साम के होते युद्ध बन्द करना पड़ा और इस तरह ताहिर गाजी की सेना बच गयी और अगले दिन की युद्ध करने की तैयारी करना सुरू कर दिया तब तक रात में ही हजरत साह अलाउदीन सेना लेकर पहुँच गया और हजरत साह अलाउदीन को सेना लेकर देख ताहिर गाजी की सेना में खुसी की लहर दौड़ी अगले दिन युद्ध हुआ मानो लहरी पासी की सेना सिरपर कफन बांध कर लड़ रही हो लेकिन लहरी पासी की कम सेना होने के कारण अलग अलग घेर लि गयी और महाराज लहरी पासी अपनी सेना से अलग हो गए उन्हें मुस्लिम सेना ने चारों तरफ से घेर लिया था और लोग कहते है कि लहरी पासी को कैद कर लिया गया था कुछ लोग कहते है कि वह वीरगती को प्राप्त हुए थे और इस तरह लहेर पुर से फिर से पासी शासन समाप्त हो गया माजसह कलन्दर की प्राचीन नगरी लहेर पुर की किताब में महाराजा लहरी पासी को अत्याचारी शासक बताया गया है
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